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देवकर्म में विचारणीय तथ्य

देवकर्म में विचारणीय तथ्य 


  •  सूर्य, गणेश, दुर्गा, शिव, एवं विष्णु यह पञ्चदेव कहलाते हैं | इनकी पूजा घर में नित्य होना चाहिए | इससे धन, लक्ष्मी और सुख प्राप्त होता हैं | 
  • घर में दो शिवलिंग, तीन गणेश, दो शंख, दो सूर्य-प्रतिमा, दो गोमती चक्र और दो शालग्राम का पूजन करने से गृह स्वामी को अशांति प्राप्त होती हैं |
  • पूजन हमेशा पूर्व या उत्तर मुख होकर करनी चाहिए | आचमन करके जूठे हाथ सर के पृष्ठ भाग में कदापि न पोछें, इस भाग में अति महत्वपूर्ण कोशिकाएं होती हैं |
  • स्त्रियों के बाये हाथ में ही रक्षा सूत्र बाधने के शास्त्रीय विधान हैं |
  • सभी पूजनकर्मों में पत्नी को पति के दक्षिण (दाहिने ओर) में बैठने का विधान हैं किन्तु अभिषेक और विप्र पादप्रक्षालन तथा सिंदूरदान के समय वामभाग में अर्धांगिनी के बैठने का विधान सम्मत हैं |
  • दीपक को दीपक से जलने से मनुष्य दरिद्र और रोगी होता हैं | देवताओं की प्रसन्नता के लिए प्रज्वलित दीपक को बुझना नहीं चाहिए |
  • आरती करने वालों को पहले चरणों की चार बार, नाभि की दो बार एवं मुख की एक बार और सम्मत अंगों की सात बार आरती करनी चाहिए |
  • भगवान् शंकर को कुंद, श्रीविष्णु को धतूरा, देवि को आक व मदार और सूर्य को तगर का पुष्प नहीं चढ़ाना चाहिए |
  • श्रीविष्णुजी को चावल, गणेशजी और भैरवजी को तुलसी, दुर्गाजी को दूर्वा और सूर्यदेव को विल्वपत्र न चढ़ाए |
  • तुलसीपत्र को बिना स्नान के नहीं लेना चाहिए, जो लोग बिना स्नान के तोड़ते हैं, उसे भगवान स्वीकार नहीं करते हैं | रविवार, एकादशी,  द्वादशी, संक्रांति संध्याकाल एवं रात्रि में तुलसीपत्र को नहीं तोडना चाहिए |
  • घर में नित्य घी का दीपक और कपूर जलाने से धनात्मक ऊर्जा व सुख समृद्धि की वृद्धि होती हैं |
  • वास्तुशास्त्र के अनुसार सोने की दिशा पूर्व या दक्षिण श्रेष्ठ हैं |
  • मननात् त्रास्ते इति मंत्रः - 108 मनका की माला की सहायता से ईश्वर नाम का जप कीजिए | माला को दाहिने हाथ की अनामिका अंगुली पर रखें | अंगूठे को अनामिका और कनिष्ठा के साथ जोड़े | माध्यम अंगुली की सहायता से मंत्र जप करते समय माला घुमायें | तर्जनी अंगुली को माला से अलग रखना चाहिए |



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