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Gupt Navratri 2024: बेहद शुभ योगों में आ रही है माघ गुप्त नवरात्रि लेकिन माँ के आगमन वाहन का अशुभ है संकेत!

 



नवरात्रि का त्योहार साल में चार बार आता है। शारदीय नवरात्र, चैत्र नवरात्र के बारे में तो बहुत से लोग जानते होंगे लेकिन गुप्त नवरात्रों के बारे में जानकारी बेहद ही कम लोगों को होती है। अभी हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ का महीना चल रहा है। माघ के महीने में मनाए जाने वाली नवरात्रि को माघ गुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता है जो इस वर्ष 10 फरवरी से प्रारंभ होने जा रही है।

Gupt Navratri 2024: सनातन धर्म में नवरात्र के पर्व का अत्यधिक धार्मिक महत्व है। भक्त नौ दिनों और नौ रातों के दौरान बड़ी भक्ति और समर्पण के साथ देवी दुर्गा की पूजा करते हैं और इस दौरान सख्त उपवास का पालन करते हैं। नवरात्र एक साल में चार बार आते हैं - चैत्र और शारदीय नवरात्र प्रसिद्ध हैं, लेकिन माघ और आषाढ़ के नवरात्र बेहद गुप्त हैं, इसलिए इन्हें गुप्त नवरात्र के नाम से जाना जाता है। इस साल इस महापर्व की शुरुआत 10 फरवरी, 2024 यानी आज से हो गई है।


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10 महाविद्याओं की गुप्त रूप से होती है पूजा

हिंदुओं के बीच नवरात्र का बड़ा महत्व है। इस दिन साधक उपवास रखते हैं और देवी दुर्गा के 10 महाविद्याओं की गुप्त रूप से साधना करते हैं। गुप्त नवरात्र में इनकी पूजा सबसे अधिक की जाती है। सभी साधक और तांत्रिक सिद्धियां प्राप्त करने के लिए इन देवियों की पूजा करते हैं, क्योंकि यह समय तंत्र साधना करने और अलौकिक शक्तियां प्राप्त करने के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है।

ऐसे करें गुप्त नवरात्र के दौरान पूजा

साधक प्रात: जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें। मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करने के बाद पहले दिन घटस्थापना करें। दीया जलाएं और फूल-माला, शृंगार का सामान चढ़ाएं। घर में बनी हुई मिठाइयों का भोग ही लगाएं। दुर्गा सप्तशती का पाठ करके देवी दुर्गा की पूजा करें।

दुर्गा देवी के मंत्रों का जाप करें, जो भक्त व्रत रख रहे हैं वे पूरी श्रद्धा के साथ सभी पूजा अनुष्ठान को पूरा करें। ऐसा करने से सुख और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।

आज अपने खास ब्लॉग के माध्यम से जानेंगे माघ गुप्त नवरात्रि से जुड़ी कुछ बेहद ही दिलचस्प बातों की जानकारी, माघ गुप्त नवरात्रि के नियम, इस दौरान किए जाने वाले महा उपाय, माता रानी के आगमन से जुड़ी दिलचस्प बातें और भी ढेरों अन्य ऐसी जानकारियाँ जो शायद ही आपको पता हो।

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गुप्त नवरात्रि में साधना

प्रत्यक्ष नवरात्रि में मां भगवती की पूजा जहां माता के ममत्व के रूप में की जाती है तो वहीं गुप्त नवरात्रि में देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा शक्ति रूप में की जाती है. मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में देवी साधना किसी को बता कर नहीं की जाती है. इसलिए इस नवरात्रि का नाम ही गुप्त दिया गया है. गुप्त नवरात्रि के दौरान नौ दिनों तक गुप्त अनुष्ठान किये जाते हैं. इन दिनों देवी दुर्गा के दस रूपों (महाविद्या) की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस नवरात्रि में देवी साधना से शीघ्र प्रसन्न् होती हैं और मनोवांछित फल प्रदान करती हैं. जितनी अधिक गोपनीयता इस साधना की होगी उसका फल भी उतनी ही जल्दी मिलेगा.


देवी के मां कालिके, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी देवी, भुनेश्वरी देवी, मां धूम्रावती, बगलामुखी माता, मातंगी माता और देवी कमला की गुप्त नवरात्रि में पूजा की जाती है. मंत्र जाप, श्री दुर्गा सप्तशती, हवन के द्वारा इन दिनों देवी साधना करते हैं. यदि आप हवन आदि कर्मकांड करने में असहज हों तो नौ दिन का किसी भी तरह का संकल्प जैसे सवा लाख मंत्रों का जाप कर अनुष्ठान कर सकते हैं. या फिर राम रक्षा स्त्रोत, देवी भागवत आदि का नौ दिन का संकल्प लेकर पाठ कर सकते हैं. अखंड ज्योति जलाकर साधना करने से भी माता प्रसन्न होती हैं.

 

पूजा सामग्री:  मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र, सिंदूर, केसर, कपूर, जौ, धूप,वस्त्र, दर्पण, कंघी, कंगन-चूड़ी, सुगंधित तेल, बंदनवार आम के पत्तों का, लाल पुष्प, दूर्वा, मेंहदी, बिंदी, सुपारी साबुत, हल्दी की गांठ और पिसी हुई हल्दी, पटरा, आसन, चौकी, रोली, मौली, पुष्पहार, बेलपत्र, कमलगट्टा, जौ, बंदनवार, दीपक, दीपबत्ती, नैवेद्य, मधु, शक्कर, पंचमेवा, जायफल, जावित्री, नारियल, आसन, रेत, मिट्टी, पान, लौंग, इलायची, कलश मिट्टी या पीतल का, हवन सामग्री, पूजन के लिए थाली, श्वेत वस्त्र, दूध, दही, ऋतुफल, सरसों सफेद और पीली, गंगाजल आदि.

 

मां दुर्गा की ऐसे करें पूजा

 

गुप्त नवरात्रि के दौरान तांत्रिक और अघोरी मां दुर्गा की आधी रात में पूजा करते हैं. मां दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित कर लाल रंग का सिंदूर और सुनहरे गोटे वाली चुनरी अर्पित की जाती है. इसके बाद मां के चरणों में पूजा सामग्री को अर्पित किया जाता है. मां दुर्गा को लाल पुष्प चढ़ाना शुभ माना जाता है. सरसों के तेल से दीपक जलाकर 'ॐ दुं दुर्गायै नमः' मंत्र का जाप करना चाहिए.

 

गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा को इन चीजों का लगाएं भोग


प्रतिपदा- रोगमुक्त रहने के लिए प्रतिपदा तिथि के दिन मां शैलपुत्री को गाय के घी से बनी सफेद चीजों का भोग लगाएं.

द्वितीया- लंबी उम्र के लिए द्वितीया तिथि को मां ब्रह्मचारिणी को मिश्री, चीनी और पंचामृत का भोग लगाएं.

तृतीया- दुख से मुक्ति के लिए तृतीया तिथि पर मां चंद्रघंटा को दूध और उससे बनी चीजों का भोग लगाएं.

चतुर्थी- तेज बुद्धि और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाने के लिए चतुर्थी तिथि पर मां कुष्मांडा को मालपुए का भोग लगाएं.

पंचमी- स्वस्थ शरीर के लिए मां स्कंदमाता को केले का भोग लगाएं.

षष्ठी- आकर्षक व्यक्तित्व और सुंदरता पाने के लिए षष्ठी तिथि के दिन मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाएं।

सप्तमी- संकटों से बचने के लिए सप्तमी के दिन मां कालरात्रि की पूजा में गुड़ का नैवेद्य अर्पित करें.

अष्टमी- संतान संबंधी समस्या से छुटकारा पाने के लिए अष्टमी तिथि पर मां महागौरी को नारियल का भोग लगाएं.

नवमी- सुख-समृद्धि के लिए नवमी पर मां सिद्धिदात्री को हलवा, चना-पूरी, खीर आदि का भोग लगाएं.

माघ गुप्त नवरात्रि की तिथियां


10 फरवरी - घटस्थापना, शैलपुत्री पूजा
11 फरवरी - ब्रह्मचारिणी पूजा
12 फरवरी - चन्द्रघण्टा पूजा
13 फरवरी - कूष्माण्डा पूजा
14 फरवरी -  स्कन्दमाता पूजा
15 फरवरी - कात्यायनी पूजा
16 फरवरी - कालरात्रि पूजा
17 फरवरी - दुर्गा अष्टमी, महागौरी पूजा
18 फरवरी - सिद्धिदात्री पूजा, नवरात्रि पारण
 

माघ गुप्त नवरात्रि

जैसा कि हमने पहले भी बताया कि साल में दो प्रत्यक्ष नवरात्रि होती हैं जो चैत्र और शारदीय माह में होती है और वहीं दो गुप्त नवरात्रि होती हैं जो माघ और आषाढ़ के माह में मनाई जाती है। इन्हें गुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। गुप्त नवरात्रि में भी मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है लेकिन इसकी पूजा गुप्त तरीके से की जाती है। ऐसा करने से भक्तों के सारे कष्ट माता रानी दूर करती हैं। इसके अलावा तंत्र-मंत्र की साधना के लिए गुप्त नवरात्रि बेहद ही खास मानी जाती है। आमतौर पर गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक, साधक और अघोरी सिद्ध पाने के लिए गुप्त साधना करते हैं।

माघ गुप्त नवरात्रि 2024: कब से कब तक

बात करें माघ महीने में इस वर्ष गुप्त नवरात्रि कब से कब तक मनाई जाएगी तो इस वर्ष में गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 10 फरवरी से होने जा रही है जो की 18 फरवरी तक चलेगी। इस दौरान घट स्थापना के मुहूर्त की बात करें तो यह 10 फरवरी को सुबह 8:30 से सुबह 10:15 तक रहने वाला है।

बेहद ही खास है इस साल की माघ गुप्त नवरात्रि: ज्योतिष के जानकारों की माने तो इस साल की माघ गुप्त नवरात्रि बेहद ही खास मानी जा रही है क्योंकि यह दुर्लभ संयोग में बनने वाली है।

 

माघ शुक्ल प्रतिपदा 10 फरवरी को धनिष्ठा नक्षत्र और वारीयन योग में नवरात्रि प्रारंभ हो रही है। इस नवरात्रि में श्रद्धालु निराहार या फिर फलहार खाकर मां की पूजा करेंगे। इसके अलावा इसके अलावा इस नवरात्रि में ग्रहों गोचरों का बेहद ही पुण्यकारी संयोग भी बन रहा है जो बेहद ही खास माना जा रहा है। दरअसल इस नवरात्रि में पांच रवि योग, दो सर्वार्थ सिद्धि योग, चार जयद योग, दो सर्वार्थ अमृत सिद्धि योग, एक त्रिपुष्कर व सिद्धि योग का दुर्लभ संयोग बनने वाला है।


माघ गुप्त नवरात्रि पूजन विधि

  • अगर आप भी इस दौरान मां दुर्गा का आशीर्वाद अपने जीवन में प्राप्त करना चाहते हैं तो रोज सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। 
  • साफ कपड़े धारण करें। 
  • माता की चौकी सजाएँ।
  • माता के समक्ष कलश की स्थापना पहले दिन कर दें। 
  • इसके बाद माता को चुनरी, श्रृंगार और अन्य पूजा की सामग्री अर्पित करें। 
  • माँ दुर्गा के मंत्रों का जाप करें। 
  • दुर्गा चालीसा का पाठ करें। 
  • दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
  • अंत में मां दुर्गा से अपनी मनोकामना कहें, आरती उतारें, उन्हें भोग लगाएँ और पूजा पूरी करें। इस दौरान व्रत रख रहे हैं तो आप फलाहार खाकर भजन व्रत रख सकते हैं।

माघ गुप्त नवरात्रि- कैसे पाएं इसका लाभ?

माघ गुप्त नवरात्रि में सिद्धि देने वाली मां दुर्गा की दुर्गा सप्तशती का पाठ बेहद ही शुभ और कल्याणकारी माना जाता है। ऐसे में दुर्गा सप्तशती का पाठ अवश्य करें। देवी के विशिष्ट मंत्रों का जाप करें, दुर्गा कवच का जाप करें, दुर्गा सतनाम का पाठ करें, ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन के रोग, शोक, आदि का नाश होते हैं। व्यवसाय, व्यापार,नौकरी में वृद्धि होती है, रोजगार मिलता है, बीमारियों से छुटकारा मिलता है और सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

माघ गुप्त नवरात्रि में देवी के इन स्वरूपों की की जाएगी पूजा

माघ गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा के 10 महाविद्याओं मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी माता, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूम्रवती माता, बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की साधना की जाएगी।



माघ गुप्त नवरात्रि में क्या करें क्या ना करें?

किसी भी व्रत और त्योहार से जुड़े कुछ विशेष नियम बताए जाते हैं जिनका पालन करके व्यक्ति विशेष और शुभ फल की प्राप्ति अपने जीवन में कर सकते हैं। ऐसे ही गुप्त नवरात्रि के भी कुछ नियम होते हैं। चलिए जान लेते हैं इस दौरान क्या कुछ कार्य व्यक्ति को करने चाहिए और क्या कुछ कार्य भूल से भी नहीं करने चाहिए: 

  • गुप्त नवरात्रि में तामसिक चीजों जैसे लहसुन, प्याज, नॉनवेज, शराब आदि से दूर रहें।
  • इस दौरान नाखून ना काटें, बाल ना कटवाएँ। 
  • बच्चों का मुंडन संस्कार भी ना करें। 
  • गुप्त नवरात्रि के दौरान जितना हो सके चमड़े की चीजों से बचें, ना ही इन्हें छूएँ, ना ही इनका उपयोग करें। 
  • गुप्त नवरात्रि में बैंगनी, नीले और गहरे रंग के कपड़े ना पहनें।
  • इस दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें। 
  • गुप्त नवरात्रि में नियम पूर्वक माता की आराधना करें और अपने मन में किसी भी तरह का बुरा ख्याल भूल से भी ना लाएँ।
  • इस दौरान कुँवारी कन्याओं और महिलाओं (जिन्हें माँ दुर्गा का ही स्वरूप माना गया है) का विशेष सम्मान करें। 

माघ गुप्त नवरात्रि उपाय

अगर आप अपनी नौकरी में तरक्की या बिजनेस में लाभ प्राप्त करना चाहते हैं तो माघ गुप्त नवरात्रि के दौरान कुछ विशेष उपाय आपकी मदद कर सकते हैं। जैसे कि, 

गुप्त नवरात्रि के दौरान रात में मां दुर्गा के समक्ष घी का दीपक जलाएं। फिर नौ बताशे ले लें और हर बताशे पर 2-2 लॉन्ग रख दें और इसे मां दुर्गा को समर्पित कर दें। 

इसके अलावा अगर आपके घर में कोई बहुत ज्यादा बीमार पड़ रहा है या आप खुद किसी बीमारी से जूझ रहे हैं तो गुप्त नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा को लाल रंग के फूल अर्पित करें। ऐसा करने से रोगों से जल्द ही छुटकारा मिलता है। 

अगर गुप्त नवरात्रि के दौरान आप चांदी या फिर सोने का कोई आभूषण या फिर सिक्का खरीद कर घर ले आते हैं तो इसे समृद्धि के लिए बेहद ही फलदाई माना जाता है। इससे घर में बरकत आती है। 

अगर आपके जीवन में विवाह संबंधी परेशानियां हैं तो गुप्त नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के समक्ष घी का दीपक जलाएं और हर रात उन्हें लाल फूलों की माला अर्पित करें। 

इसके अलावा अगर आप अपने मान सम्मान में बढ़ोतरी करवाना चाहते हैं या पारिवारिक जीवन से कलह-क्लेश दूर करके खुशियां प्राप्त करना चाहते हैं तो गुप्त नवरात्रि के दौरान मां के मंदिर जाएं और उन्हें लाल झंडा अर्पित करें।

माघ गुप्त नवरात्रि के महा उपाय

माघ गुप्त नवरात्रि के दौरान कम से कम एक अर्गला, किलक, कवच, सतनाम, शापोद्धार सहित 13 अध्याय का पाठ करें। अगर आप किसी भी कारण वश आप ऐसा नहीं कर सकते हैं तो रोजाना चौथे अध्याय का पाठ अवश्य करें। अगर आप यह भी नहीं कर सकते हैं तो गुप्त नवरात्रि के सभी दिन दुर्गा चालीसा का पाठ अवश्य करें। साथ ही सुबह शाम मां दुर्गा की आरती करें। कहा जाता है इस बेहद ही छोटे से उपाय को करने से मां दुर्गा की प्रसन्नता अपने भक्तों पर अवश्य पड़ती है।

माघ गुप्त नवरात्रि 2024- राशि अनुसार उपाय 

मेष राशि: मेष राशि का संबंध मंगल ग्रह से जोड़कर देखा जाता है। ऐसे में आप पूजा में लाल रंग के फूल अर्पित करें। साथ ही दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करें।

वृषभ राशि: वृषभ राशि के जातक मां दुर्गा को सफेद रंग के फूल अर्पित करें। साथ ही ललिता सहस्रनाम का पाठ करना आपके लिए शुभ रहेगा।

मिथुन राशि: माघ गुप्त नवरात्रि के दौरान मिथुन राशि के जातक मां दुर्गा को पीले कनेर, गुड़हल या फिर गेंदे का फूल अवश्य अर्पित करें। साथ ही आपको मां तारा कवच का पाठ भी रोजाना करने की सलाह दी जाती है।

कर्क राशि: कर्क राशि के जातकों आपका संबंध चंद्रमा से जोड़कर देखा जाता है। ऐसे में इस माघ नवरात्रि माता को चमेली, सदाबहार, रातरानी के फूल अर्पित करें। साथ ही लक्ष्मी सहस्त्रनाम का पाठ करना आपके लिए बेहद ही शुभ साबित होगा।

सिंह राशि: सिंह राशि के जातकों आपका संबंध सूर्य से होता है। ऐसे में माघ नवरात्रि में मां दुर्गा को कमल के फूल, गुलाब, कनेर या गुड़हल के फूल अर्पित करना आपके लिए शुभ रहेगा। साथ ही आपको मां कुष्मांडा की विशेष रूप से प्रार्थना करनी चाहिए और मां दुर्गा के मंत्रों का जाप करना चाहिए।

कन्या राशि: कन्या राशि के जातकों पर भी बुध ग्रह का ही स्वामित्व होता है। ऐसे में आप भी माता रानी को गुलाब, हरसिंगार, गेंदे का फूल अर्पित करें। साथ ही लक्ष्मी मां के मंत्रों का विधि पूर्वक जाप करें।

तुला राशि: तुला राशि के जातकों आपके स्वामी शुक्र को माना गया है। ऐसे में गुप्त नवरात्रों के दौरान माता को गेंदे का फूल, जूही, हरसिंगार, सफेद कमल, सफेद कनेर का फूल चढ़ाएँ। इसके अलावा आपको काली चालीसा या सप्तशती के प्रथम चरित्र का पाठ करना भी विशेष रूप से फलदाई साबित हो सकता है।

वृश्चिक राशि: वृश्चिक राशि के जातकों के स्वामी मंगल ग्रह को माना गया है। ऐसे में आपको लाल रंग के पुष्प जैसे गुलाब, गुड़हल या फिर लाल गेंदा माता रानी को अवश्य चढ़ाना चाहिए। साथ ही आपको दुर्गा सप्तशती का पाठ करना भी विशेष रूप से फलदाई साबित हो सकता है।

धनु राशि: धनु राशि के जातकों का स्वामी बृहस्पति को माना गया है। ऐसे में आप गुप्त नवरात्रों के दौरान मां को कनेर, गुड़हल, कमल, गुलाब के फूल अर्पित करें। साथ ही माता के मंत्रों की यथाशक्ति अनुष्ठान करें।

मकर राशि: मकर राशि के जातकों के स्वामी शनि देव हैं। ऐसे में आपको मां दुर्गा को अपराजिता, कमल, गुलाब, या फिर गुड़हल का फूल चढ़ाना विशेष रूप से अनुकूल साबित होगा। साथ ही गुप्त नवरात्रि के दौरान निर्वाण मंत्रों का जप भी करें।

कुम्भ राशि: कुंभ राशि के जातकों के भी स्वामी शनि देव को ही माना गया है। ऐसे में आप भी मां दुर्गा को अपराजिता, कमल, गुलाब, गेंदे या फिर गुड़हल का पुष्प अर्पित करें। साथ ही देवी कवच का पाठ करना आपके लिए विशेष रूप से फलदाई साबित होगा।

मीन राशि: मीन राशि के जातकों के स्वामी देवगुरु बृहस्पति होते हैं। ऐसे में माघ नवरात्रि के दौरान मां को कमल, कनेर, गुलाब और गुड़हल के फूल अर्पित करें। साथ ही मां बगलामुखी के मंत्रों का जाप करें।

माघ गुप्त नवरात्रि मां का आसान- क्या है इसका संकेत?

नवरात्रों में मां दुर्गा किसी न किसी आसन पर विराजमान होकर कैलाश पर्वत से धरती पर आती हैं। उनके सभी वाहनों का विशेष महत्व और इसका अलग संकेत होता है। बात करें माघ गुप्त नवरात्रि की तो इस साल मां घोड़े पर विराजमान होकर आने वाली हैं। इसके अलावा इस नवरात्रि का समापन रविवार के दिन से होने वाला है अर्थात रविवार के दिन मां का विसर्जन हो जाएगा और रविवार का दिन होने के चलते मां का प्रस्थान वाहन होगा भैंसा।

क्या है इसका संकेत? माता रानी का आगमन वाहन घोड़ा है जो की एक अशुभ संकेत देने वाला वाहन माना गया है। इस दौरान लोगों के अंदर डर बढ़ने की आशंका है। साथ ही युद्ध जैसी स्थिति भी देखने को मिल सकती है। 

इसके अलावा माता रानी विदा होंगी भैंसे पर ऐसे में यह भी अशुभ संकेत दे रहा है। इस दौरान लोगों के अंदर बीमारी बढ़ने की आशंका है। लोग बुखार, जुखाम और मौसमी बीमारी से विशेष रूप से प्रभावित नजर आ सकते हैं। साथ ही घर परिवार में अशांति के भी संकेत यह वाहन दे रहा है।

गुप्त नवरात्रि का धार्मिक महत्व जानते हैं आप? जैसा कि हमने पहले भी बताया कि यह नवरात्रि चैत्र और शारदीय नवरात्रि की तरह प्रत्यक्ष नहीं होती है। इसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। साथ ही इस दौरान की जाने वाली पूजा तंत्र, साधना भी गुप्त ही रखी जाती है। माना जाता है कि नवरात्रि तांत्रिकों और अघोरियों के लिए बेहद खास होती है। 

Vedic Panchang Horoscope वैदिक पंचांग फलादेश घर बैठे सीखे प्रमाण पत्र के साथ -:

यह समय तांत्रिकों और अघोरियों के लिए स्वर्णिम अवसर होता है। इस नवरात्रि में तांत्रिक, अघोरी, तंत्र-मंत्र और यंत्र की सिद्धि प्राप्त करने के लिए गुप्त साधना करते हैं और सामान्य साधक अपनी मनोकामना पूर्ति और जीवन से कष्टों को दूर करने के लिए मां दुर्गा की पूजा करते हैं। कहा जाता है इस दौरान पूजा जितनी भी गुप्त रखी जाए उतना ही ज्यादा फलित होती है और उतने ही शीघ्र व्यक्ति को शुभ फल मिलते हैं।

गुप्त नवरात्रि साल की पहली नवरात्रि होगी ऐसे में इस दौरान जातकों को मां दुर्गा के साथ मां सरस्वती और मां नर्मदा की पूजा का विशेष लाभ भी मिलने वाला है। कैसे? यह जानने के लिए ये ब्लॉग अंत तक पढ़ें। 

ऐसा इसलिए क्योंकि 9 फरवरी को माघ मास की अमावस्या होगी इस अमोनिया अमावस्या में कहा जाता है कहा जाता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान आदि करने से पितरों को शांति मिलती है इसके बाद 14 फरवरी को वसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती का प्रकोत्सव प्रकटोत्सव मनाया जाएगा और फिर 16 फरवरी कोनर्मदा जयंती मनाई जाएगी इस दिन नर्मदा नदी में स्नान का विशेष महत्व होता है यह सभी तिथियां नवरात्रि के दौरान पढ़ने वाली है ऐसे में इस दौरान मां सरस्वती और नर्मदा का भी विशेष आशीर्वाद व्यक्ति के जीवन पर प्राप्त हो सकता है

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