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श्री शनि देव के मंत्र

 शनि देव के मंत्र : अर्थ और लाभ

शनिदेव काे कर्मफल दाता भी कहा जाता है। कहते हैं कि व्यक्ति के अच्छे-बुरे कर्मों के अनुसार ही उन्हें फल देते हैं। ऐसा माना जाता है कि शनिवार के दिन सच्ची श्रद्धा और भक्ति से शनिदेव की पूजा करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।



शनिदेव की कृपा पाने के लिए यदि उनके मंत्रों का जाप किया जाए, तो जीवन के सभी दुख दूर हो जाते हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है। यहां हम शनिदेव के कुछ प्रभावशाली मंत्रों और उनसे होने वाले लाभ को आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं।


लेख में-

शनिदेव मूल मंत्र।

श्री शनिदेव ग्रह शांति मंत्र।

श्री शनिदेव गायत्री मंत्र।



1. शनिदेव मूल मंत्र:

ॐ शं शनैश्चराय नमः॥


मंत्र का अर्थ:

सर्व कर्म फल देने वाले हे शनिदेव हमारे पाप कर्मों का नाश कर शुभ फल प्रदान करें हम आपको नमस्कार करते हैं।


मंत्र का लाभ:

इस मंत्र के जाप से भगवान शनिदेव प्रसन्न होते हैं और जातक को शनिदेव का विशेष स्नेह प्राप्त होता है।


2. श्री शनिदेव ग्रह शांति मंत्र:

ॐ नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।

छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्॥


मंत्र का अर्थ:

जिनका शरीर नीले वर्ण का है, जो छाया और सूर्य के पुत्र हैं एवं जो यम के बड़े भाई हैं। ऐसे शनि महाराज को हम बारंबार नमस्कार करते हैं।


मंत्र का लाभ:

शनि देव के इस मंत्र के जाप से साढ़े सती का दोष दूर होता है। साढ़े साती से ग्रसित व्यक्ति को शनि महामंत्र का 23000 बार जाप करने से लाभ प्राप्त होता है।


3. शनिदेव गायत्री मंत्र:

ॐ काकध्वजाय विद्महे,

खड्गहस्ताय धीमहि, तन्नो मन्दः प्रचोदयात्॥


मंत्र का अर्थ:

कौआ जिनका वाहन है, जिनके हाथों में खड्ग है, जो विशेष बुद्धि के धारक हैं, मैं ऐसे शनिदेव का ध्यान करता हूं। वे मंद गति वाले शनि महाराज हमें अपनी शरण प्रदान करें।


मंत्र का लाभ:

श्री शनि गायत्री मंत्र के जाप से श्री शनिदेव जी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में आ रही तकलीफों से मुक्ति मिलती है।

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